रीवा के लोग अब भी सफेद बाघ मोहन की याद करते हैं

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रीवा को वाइट टाइगर सिटी कहा जाता है क्योंकि यहाँ के जंगलों में ही भारत में पहला सफेद बाघ पाया गया था। रीवा की सफेद बाघ मोहन का घर था। भारत के विभिन्न जंगलों में दशकों से सफेद बाघ देखे जाते रहे हैं और 1951 में मोहन को रीवा के जंगलों में जिंदा पकड़ा गया था। मोहन को रीवा के महाराजा ने गोविंदगढ़ झील के किनारे अपने महल के चिड़ियाघर में ले आए और जब वह वयस्क हो गया तो उन्होंने प्रजनन प्रयोग शुरू किए। रीवा महाराजा ने मोहन को एक सामान्य रंग की बाघिन के साथ पाला किन्तु बच्चे सफेद नहीं पैदा हुए , उनका रंग मां की तरह था । महराजा ने हार नहीं मानी और हर तरह की कोशिश की। बताया जाता है अंत में 30 अक्टूबर, 1958 को, राधा ने चार सफेद शावकों को जन्म दिया, राजा (नर), रानी (मादा), मोहिनी (मादा), और सुकेशी (मादा)। 1960 के अंत में, मोहिनी को वाशिंगटन डीसी में राष्ट्रीय प्राणी उद्यान को बेच दिया गया था।