प्रभा अत्रे कहती थीं, मैं शास्त्रीय संगीत को आम जनता तक ले जाना चाहती हूँ
प्रभा अत्रे को भारतीय शास्त्रीय गायन संगीत को वैश्विक स्तर पर लोकप्रिय बनाने में उनके योगदान के लिए भी जाना जाता है। ‘जागूं मैं सारी रैना (राग मारू बिहाग), ‘तन मन धन’ (राग कलावती), ‘नंद नंदन’ (राग किरवानी) जैसे उनके गाने संगीत प्रेमियों को सदैव मंत्रमुग्ध करते रहेंगे।वह अपनी आखिरी सांस तक गाना चाहती थीं और उन्होंने गाया भी ।
वह कहती थीं , “एक साधक के रूप में, मैं कभी संतुष्ट नहीं हो सकती क्योंकि सीखने का कोई अंत नहीं है।” मैं अपनी आखिरी सांस तक गाना चाहता हूं और संगीत के अन्य पहलुओं पर भी काम करना चाहती हूं।’ मैं शास्त्रीय संगीत को आम जनता तक ले जाना चाहती हूं ताकि वे इसे आसानी से सीख सकें क्योंकि यदि ऐसा नहीं हुआ तो शास्त्रीय संगीत नहीं बचेगा।ख्याल, ठुमरी, दादरा, ग़ज़ल, गीत, नाट्यसंगीत आदि जैसी विभिन्न संगीत शैलियों में भी उन्हें महारत हासिल थी।
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