उद्योगों को जीरो लिक्विड डिस्चार्ज बनाने से ही नदियों का प्रदूषण दूर करना संभव

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भारतीय नदियों में प्रदूषण एक बहुत ही जटिल समस्या है। चाहें यमुना हो या गंगा प्रदूषण पर विजय पाना आसान नज़र नहीं आता। मानव की हर प्रक्रिया अपशिष्ट उत्पन्न करती है। प्रदूषण का कोई एक प्रमुख स्रोत नहीं है और इसलिए सभी को रोकने के लिए एक बड़ी कार्रवाई कैसे संभव हो । यदि देखा जाय तो दुखद बात यह है कि हमारे शहरों में अपशिष्ट जल शोधन की सुविधाएँ पर्याप्त नहीं है।यदि बहुतसी जगह हैं भी हैं तो काम नहीं करती हैं। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है , घरों से निकलने वाला कचरा सीधे नदी में जा रहा है। यदि हर शहर में पर्याप्त सुविधाओं के साथ, अपशिष्ट जल को बहुत अच्छे पुन: प्रयोज्य और पुनर्चक्रण योग्य पानी में परिवर्तित किया जा सकता है। किन्तु इसके लिए हर नगर निगम के पास के पास पर्याप्त फंड होना चाहिए । औद्योगिक अपशिष्ट भी नदियों को प्रदूषित करने में प्रमुख तथा सबसे बड़ी भूमिका निभाते हैं। यह अनुपचारित कचरा छिपकर नदी में छोड़ दिया जाता है। इसकी 24 घंटे निगरानी नहीं की जा सकती है । समाधान, उद्योगों को जीरो लिक्विड डिस्चार्ज (जेडएलडी) बनाना चाहिए , जिसका अर्थ है कि उन्हें अपने अपशिष्ट जल का उपचार करना चाहिए इसका पूरी तरह से पुन: उपयोग करना चाहिए ।