अकबर के शासनकाल के दौरान भारत में चीतों की संख्या लगभग 10,000 थी

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लगभग सात दशकों के विलुप्त होने के बाद नामीबिया से 8 चीते भारत पहुँच रहे हैं । अंतिम ज्ञात एशियाई चीते को महाराजा रामानुज प्रताप सिंह देव ने 1947 में गोली मार दी थी। रामानुज प्रताप सिंह कोरिया की रियासत के महाराजा थे,जिसे आज छत्तीसगढ़ के नाम से जाना जाता है। इसमें पांच मादा और तीन नर अफ्रीकी चीते हैं। ये चीते 17 सितंबर को मध्य प्रदेश पहुंचेंगे। ये चीते अंतरमहाद्वीपीय स्थानांतरण में 8,000 किमी से अधिक की यात्रा कर रहे हैं । इनकी यात्रा के लिए संशोधित बोइंग 747 कार्गो विमान का इस्तेमाल किया गया है । कुनो राष्ट्रीय उद्यान, चंबल में 750 वर्ग किमी में फैला है, जहां मृग, नीलगाय, जंगली सूअर, चित्तीदार हिरण और सांभर की एक बड़ी आबादी है, जो चीतों के लिए पर्याप्त शिकार के लिए उपलब्ध हैं। भविष्य में देश में और चीतों को फिर से आने की संभावना है।1556 से 1605 तक सम्राट अकबर के शासनकाल के रिकॉर्ड बताते हैं कि चीतों की संख्या लगभग 10,000 थी। शोध बताते हैं कि 19वीं सदी तक यह संख्या गिरकर कुछ सैकड़ों रह गई। कहा जाता है कि एक मुग़ल बादशाह अकबर ने अपने वन्य पशुशाला में 1,000 चीतों को रखा हुआ था तथा 16वीं शताब्दी में अपने अर्धशतकीय शासनकाल के दौरान 9,000 से अधिक चीतों पर कब्जा किया हुआ था ।

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