IIT प्रोफेसर ने नौकरी छोड़ आदिवासी कल्याण के लिए किये समर्पित 32 साल
आलोक सागर के बारे में शायद आप न जानते हों। वह एक विद्वान व्यक्ति हैं जो अपनी पढ़ाई के लिए आईआईटी और ह्यूस्टन गए और उन्होंने आईआईटी दिल्ली में पढ़ाने के दौरान पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम को भी पढ़ाया था। किन्तु दुर्भाग्य से ये डिग्रियाँ उन्हें संतुष्ट नहीं कर सकीं। अपने जीवन में वह कुछ और ही तलाश में थे। इसलिए उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी।
आलोक ने मध्य प्रदेश के सुदूर आदिवासी गांवों में रहने वाले लोगों की सेवा करने का फैसला किया। उन्होंने मध्य प्रदेश के बैतूल और होशंगाबाद जिलों में काम करना शुरू किया। उनके प्रवास का एकमात्र उद्देश्य आदिवासियों के लिए काम करना, उनकी समस्याओं को देखना और उन समस्याओं को हल करने में उनकी मदद करना था। आश्चर्यजनक रूप से, उन्होंने अपने जीवन के अंतिम 26 वर्ष मध्य प्रदेश के सुदूर गाँव कोचामू में बिताए। कोचामू को लगभग 750 आदिवासियों और एक प्राथमिक विद्यालय के लिए जाना जाता है। इस जगह पर आज भी बिजली और सड़क जैसी बुनियादी जरूरतों का अभाव है।
आलोक सागर आदिवासियों के लिए काम करने के अपने फैसले को लेकर हमेशा बहुत आशावादी रहे हैं। उनका मानना है कि लोग वास्तव में जमीनी स्तर पर ध्यान केंद्रित करके इस देश की सेवा कर सकते हैं, जिसे अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है।