ताजमहल की सजावट में वास्तुकला का सख्ती से पालन किया गया था
आगरा। मुगलों का मानना था कि प्रेसियस और सेमी प्रेसियस पत्थरों का अलग-अलग व्यक्तियों और स्थानों के भाग्य पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है। वे शुभ या अशुभ हो सकते हैं। ताजमहल में लगे सेमी प्रेसियस और प्रेशियस पत्थरों को कभी कभी ऊपरी तिब्बत, कुमाऊँ, जैसलमेर, कैम्बे और सीलोन जैसे दूर के स्थानों से लाया जाता था। यह गणना की गई है और ताजमहल की सजावट में वास्तुकला का सख्ती से पालन किया गया था । मुख्य रूप से इन्हीं कारणों से हमें इसकी वास्तुकला में किसी न किसी पत्थर की प्रधानता दिखाई देती है। ताजमहल के रास्तों, सीढ़ियों, चबूतरे और फुटपाथों पर लाल पत्थर की शिलाओं पर कई निशान खुदे हुए हैं। उनमें से कुछ हैं- प्रतीकात्मक रूपांकन स्वस्तिक, चक्र, आकोआ (षट्कोण), पंचकोण (पेंटागन), आख (शंख), चेतन रूपांकन – मछली, पक्षी, ज्यामितीय रूपांकन – त्रिकोण, वर्ग, आयत फ्लोरल मोटिफ्स- मुख्य रूप से कमल के फूलों की पत्तियां और पंखुड़ियां।