आगरा मुगल काल से ही भारत में जूते उद्योग का मुख्य केंद्र रहा है
आगरा को ताजमहल के लिए ही नहीं जूता उद्योग के लिए भी दुनिया में प्रसिद्ध है। ऐसा माना जाता है कि दुनिया में जूतों की लगभग हर पांचवीं जोड़ी आगरा में बनी होती है। इस उद्योग की शुरुआत आगरा में अकबर द्वारा की गई थी, जब सम्राट ने अपने सैनिकों को जूते पहनने का आदेश दिया था । उस समय तक मुगल सेना बिना जूते पहने नंगे पैर ही युद्ध करती थी। अकबर के इस आदेश के बाद पूरे साम्राज्य से जूता बनाने वाले श्रमिकों को आगरा बुलाया गया और प्रति वर्ष कई हजार जोड़ी जूते बनाये जाने लगे। शुरू में सैनिकों के लिए थोड़े घुमावदार पंजों वाले कठोर चमड़े के जूते बनाए गए थे। जूतों के अतरिक्त सैनिकों के लिए चमड़े से बनी मुगल ढालें भी आगरा में बनाई जाती थीं। आज भी आगरा में जूते-चप्पल का प्राचीन उद्योग निरंतर चला आ रहा है। यहाँ की हींग की मंडी जूतों के प्रमुख बाजारों में से एक है। इस मंडी की गली गली में जूतों की दुकानें हैं। एक सर्वेक्षण से पता चला है कि भारत के लगभग 65 प्रतिशत जूते आगरा में निर्मित होते हैं।