कोविड-19 से पीड़ितों के मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं पर वेबिनार
नई दिल्ली – कोविड-19 एक वैश्विक समस्या है, क्योंकि सभी लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इससे समस्या हो रही है। मानसिक स्वास्थ्य और महामारी विषय पर हुए एक वेबिनार में मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने विचार व्यक्त किए। वेबिनार के विशेषज्ञों के पैनल में एनआईएमएचएएनएस, बंगलुरू के मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर – डॉ. प्रतिमा मूर्ति ने कहा कि कोविड-19 से पीड़ित एक व्यक्ति को मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
डॉ. मूर्ति ने कहा, “सबसे प्रमुख मुद्दा डर का है।” डॉक्टर ने विस्तार से बताया कि किसी के दिमाग पर कई प्रकार के डर हो सकते हैं, जैसे- आगे क्या होने जा रहा है, क्या अस्पताल में एक बिस्तर मिल पाएगा, फेफड़ों और अन्य अंगों का क्या होगा। डॉ. मूर्ति ने यह भी कहा, “यदि हम थोड़ा पीछे जाकर सोचते हैं तो हम जानते हैं कि हर 100 लोगों में से 85 को सामान्य बुखार और अन्य लक्षण देखने को मिले हैं, जिसमें सामान्य रूप से खुद को सीमित कर लिया जाना चाहिए और इससे ही ज्यादातर लोग ठीक हो जाते हैं।”
दूसरा, इस समय बड़ी संख्या में सूचनाएं मिल रही हैं, जिससे इस बात लेकर की भी भ्रम हो सकता है कि क्या करना है। मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ ने सलाह दी कि इसलिए, सही प्रकार की जानकारी होना ही सबसे ज्यादा अहम है।
तीसरा, एक व्यक्ति जिसे अस्पताल में भर्ती किया जाता है या आईसीयू में जाना पड़ जाता है तो उसे मनोवैज्ञानिक समस्याएं हो सकती है। उसे अवसाद, चिंता से गुजरना पड़ सकता है, क्योंकि उसके मन में लंबे समय तक दर्दनाक यादें बनी रहती हैं। इसी प्रकार, अस्पताल या आईसीयू में भर्ती व्यक्ति के परिजन इस बात को लेकर चिंतित हो सकते हैं कि उन्हें कितना असहाय महसूस करना पड़ा था और किस तरह से वे कुछ भी करने में नाकाम हो गए थे। और वास्तव में, जब आप कोविड से किसी व्यक्ति को खो देते हैं तो जब आप दुख और वियोग का अनुभव करते हैं तो यह संभावित रूप से किसी व्यक्ति के लिए सबसे मुश्किल मनोवैज्ञानिक क्षण होता है। इसके अलावा, कोविड संक्रमण के बाद भी कई मानसिक स्वास्थ्य परिणाम भी हो सकते हैं, जिसमें तनाव और अवसाद के अलावा एक ऐसी स्थिति हो सकती है जिसे ‘लॉन्ग कोविड’ कहा जाता है। इसमें लोग अपने मस्तिष्क में धुंधलापन सा महसूस करते हैं, स्पष्ट रूप से सोचने में असफल रहते हैं और मस्तिष्क संबंधी विकार होते हैं। इसके साथ ही, डॉ. मूर्ति ने कहा कि इनमें से कुछ बातों की जानकारी होना अहम है और ऐसी स्थिति में प्रतिक्रिया के चलते चिंता में नहीं पड़ना चाहिए।
डॉ. अग्रवाल ने कहा कि कुछ समय के लिए लोगों में नियंत्रण खत्म होने का अहसास पैदा हो जाता है। लोगों की नौकरियां जा रही हैं, आर्थिक, मानसिक और अन्य समस्याएं पैदा हो रही हैं। घर पर भी, कई प्रकार की मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। कुल मिलाकर, यह सवाल भी मन में आ रहा है कि ‘क्या यही जीवन है?’ कई लोगों के मन में अस्तित्वगत व्यवस्था को लेकर ढेरों सवाल हैं। वे अपनी मान्यता और अपने जीवन को जीने के तरीके पर सवाल उठा रहे हैं। ये सभी बातें लोगों में जड़ता का अहसास पैदा कर सकती हैं या वे उससे अलग हो सकते हैं जो वे अनुभव करते हैं। इससे पार पाने के लिए लोग कई अस्वास्थ्यकर तरीके अपना सकते हैं, जिससे हालात और भी बिगड़ सकते हैं। डॉक्टर ने कहा कि इसलिए, कोविड का मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव व्यापक हो सकता है।
मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं से उबरने के अस्वास्थ्यकर तरीकों के बारे में बोलते हुए, डॉ. मूर्ति ने कहा कि चाहे यह अल्कोहल हो, तम्बाकू या अन्य मादक पदार्थ हों, हानिकारक पदार्थों का उपयोग बढ़ गया है। एक चिंता यह भी है, जो हमेशा ही एक महामारी के दौरान होती है।