अमीन सयानी, बिनाका गीत माला और झुमरी तलैया को संगीत प्रेमी शायद ही कभी भुला सकें

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भारतीय संगीत प्रेमी अमीन सयानी और बिनाका गीत माला का नाम शायद ही कभी भुला सकें। एक समय था जब बुधवार रात 8 बजे सब लोग रेडिओ के पास गीतमाला का बेसब्री से गीत माला का इंतज़ार करते थे। प्रसारित हुआ, रोजमर्रा की जिंदगी, फिल्मों और चुटकुलों में छा गया। कार्यक्रम की चरम लोकप्रियता के वर्ष खासतोर से 1950 के मध्य से 1970 के दशक के प्रारंभ तक थे। इसके उपरांत बहुत से अन्य संगीत कार्यक्रम भी प्रसारित होने का सिलसिला शुरू हुआ बहनों और भाइयों के साथ संबोधित करने की अमीन सयानीकी शैली को अभी भी एक मधुर स्पर्श के साथ एक घोषणा के रूप में माना जाता है। उन्होंने 1951 से अब तक 54,000 से अधिक रेडियो कार्यक्रमों और 19,000 स्पॉट/जिंगल्स का निर्माण, संचालन (या वॉयस-ओवर प्रदान किया) किया है। बिनाका गीत माला के समर्पित श्रोता और इतिहासकार अनिल भार्गव ने लिखा कि एक पूरी पीढ़ी का इस कार्यक्रम से गहरा भावनात्मक लगाव था और उन्होंने आगे कहा कि युवा पीढ़ी के लिए भावनाओं और जुनून के प्रकार की कल्पना करना कठिन है।