Mishra VC 1 730x539 - विद्यार्थियों के लिए हमेशा  मसीहा साबित हुए एक भूत  पूर्व  कुलपति  राधे मोहन मिश्र
भतपूर्व कुलपति राधे मोहन मिश्र

विद्यार्थियों के लिए हमेशा मसीहा साबित हुए एक भूत पूर्व कुलपति राधे मोहन मिश्र

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(शान्तनु शुक्ल द्वारा) खगोल भौतिकी के जाने माने भारतीय वैज्ञानिक तथा गोरखपुर विश्वविद्यालय के भतपूर्व कुलपति राधे मोहन मिश्र देश के लिए मूल्यवान नहीं हैं बल्कि एक अमूल्य व्यक्ति हैं। इनकी गौरव कथाएँ पूरे उत्तर प्रदेश में सुनी जा सकती हैं ।
वह एक कुशल प्रशासक के रूप में एक मिसाल माने जाते हैं। प्रोफेसर राधे मोहन मिश्र उर्फ वी.सी. साहब ने शिक्षा ग्रहण की इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से और पढ़ाया गोरखपुर यूनिवर्सिटी के फिज़िक्स डिपार्टमेंट में, वहीं हेड हुए और अंततः इसी गोरखपुर यूनिवर्सिटी में वाइस चान्सलर होकर रिटायर हुए।
प्रोफेसर मिश्र ने जब कुलपति बनकर गोरखपुर यूनिवर्सिटी का चार्ज सम्भाला, उस समय गोरखपुर शहर अपराध का अड्डा माना जाता था और यूनिवर्सिटी तो जैसे अपराधियों की शरणस्थली थी। किन्तु इनके वी.सी. बनते ही यूनिवर्सिटी के दिन बदले और ये जगह अपने “गोल्डेन टाइम” में पहुँच गयी। अपराधी तो जैसे गायब ही हो गए थे। उनकी उम्र करीब 85 वर्ष है।
मिश्रजी ने कभी किसी की सिफारिशों को मंज़ूर नहीं किया। ये सारे विद्यार्थियों के जायज़ काम खुद ही कर दिया करते थे। आम विद्यार्थियों के लिए तो ये मसीहा साबित हुए।
इनको रिटायर हुए 20 साल से अधिक हो चुके हैं मगर आज भी लोग “राधे मोहन मिश्रा” को याद करते हैं। इनसे परिचित गोरखपुरी लोग तो इनके ज़बरदस्त प्रशंसक हैं। पूरे उत्तर प्रदेश में इनको आज भी एक “लाजवाब वीसी” के तौर पर याद किया जाता है।ये अब गोरखपुर में ही अपने आवास में रह रहे हैं, रोज़ाना 2 किमी की मॉर्निंग वॉक भी रोज़ाना करते हैं ।