क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों को विकासशील और कम विकसित देशों पर अनावश्यक रूप से कठोर नहीं होना चाहिए – गोयल
नई दिल्ली – केंद्रीय मंत्री श्री पीयूष गोयल ने उम्मीद जताई कि आईएमएफ जैसी क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों, जो दुनिया के वित्तीय स्वरूप को निर्धारित करती हैं, को विकासशील और कम विकसित देशों पर अनावश्यक रूप से कठोर नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह ज्यादा दयालु, उदार और सहयोगी होने का समय है।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि भारत ने स्वच्छ ऊर्जा, ऊर्जा दक्षता, वनीकरण और जैव विविधता पर कई साहसी कदम उठाए गए हैं, और यही वजह है कि भारत ऐसे कुछ देशों में है जहां एनडीसी (राष्ट्रीय स्तर पर अंशदान निर्धारित किए गए हैं) 2 डिग्री सेल्सियस सुसंगत है। उन्होंने कहा, “हमने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन और आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे के लिए गठबंधन को भी प्रोत्साहित किया है।”
श्री गोयल ने व्यापार नीति और हमारे हरित लक्ष्यों को बढ़ाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि व्यापार नीति में पूरे विश्व में ज्यादा समावेशी विकास के लिए ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक स्वच्छ पर्यावरण और समावेशी विकास, जो टिकाऊ हो, भारत के लिए प्राथमिक एजेंडा है। केन्द्रीय मंत्री ने कहा, भारत का दीर्घकालिक रुख यह है कि पर्यावरण और स्थायित्व से जुड़े कदमों को व्यापार से नहीं जोड़ा जाना चाहिए।
श्री गोयल ने कहा कि यूएन और यूएनएफसीसी को जलवायु परिवर्तन से जुड़ी अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए दुनिया को एकजुट करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। जलवायु परिवर्तन से संबंधित मुद्दों पर यूएनएफसीसीसी फ्रेमवर्क और पेरिस समझौते के तहत चर्चा किए जाने की जरूरत है, न कि व्यापार समझौतों के भाग के तहत। इन लक्ष्यों को हासिल करने के लए व्यापार समझौते पहला सर्वश्रेष्ठ विकल्प नहीं हैं।