tiwri 3 - गुरू की गारिमा,दायित्‍व और  वि्द्वता का पर्याय थे डा आर पी तिवारी

गुरू की गारिमा,दायित्‍व और वि्द्वता का पर्याय थे डा आर पी तिवारी

Agra

— शिक्षाविद् से जुडे संस्‍मरणों की किताब काा किया विमोचन
मार्च का महीना आगरा में तमाम बौद्धिकता की गतविधियों से भरपूर होता है, इन्‍हीं में एक आयोजन था ‘डा.आर पी तिवारी ‘ की स्‍मृति में प्रकाशित पुस्‍तक के विमोचन का। संजय प्‍लेस स्‍थित होटल होलिडे इन, में संपन्‍न इस कार्यक्रम में अंग्रेज़ी व हिन्दी के मूर्धन्य साहित्यकारों और शिक्षा विदों ने भाग लिया। स्‍व. डा तवारी राजा बलवंत सिंह कॉलेज, आगरा के पूर्व प्राचार्य व अंग्रेज़ी विभाग के अध्यक्ष डॉ. आर. पी. तिवारी आदि पदों पर तो रहे ही थे किन्‍तु शिक्षा परिसर से बाहर भी सामाजिक सरोकारों के प्रति प्रतिबद्ध शख्‍सियत के रूप में उनकी पहचान थी।
पुस्तक का विमोचन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि शहर के विख्यात न्यूरोसर्जन डॉ आर. सी. मिश्रा ने किया तथा कार्यक्र्म की अध्यक्षता राजा बलवंत सिंह कॉलेज, आगरा के पूर्व प्राचार्य डॉ. जवाहर सिंह धाकरे ने की। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि सैंट जोंस कॉलेज के इतिहास विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. आर. सी. शर्मा, राजा बलवंत सिंह कॉलेज, आगरा के अंग्रेज़ी विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. एन. आर. स्मिथ एवं राजा बलवंत सिंह कॉलेज, आगरा के पूर्व प्राचार्य डॉ आर. एन. सिंह थे।
पुस्‍तक सारगर्भित सामिग्री से भरपूर और आने वाले समय में उन सभी के लिये महत्‍वपूर्ण जानकारी स्‍त्रोत है,जिनकी दिलचस्‍पी डा तिबारी को जानने या उनपर शेध करने की होगी। ‘ डॉ. आर. पी. तिवारी: फ्रेंड, फ़िलॉसफ़र एंड गाइड; टीचर-स्कालर एक्सट्रा ओर्डिनेयर ‘ (Dr. R. P. Tewari: Friend, Philosopher and Guide; Teacher-Scholar Extraordinaire) और इसका सम्पादन राजा बलवंत सिंह कॉलेज, आगरा के अंग्रेज़ी विभाग में एसोशिएट प्रोफेसर डॉ. संजय कुमार मिश्र ने किया है।
पुस्तक में डॉ. तिवारी के विराट व्यक्तित्व और उपलब्धियों पर अँग्रेजी व हिन्दी में उनके निकट रहे मित्रों, साथियों, सहयोगियों, शिष्यों, शोधार्थियों, एवं परिवारी जनों के स्मरणीय लेख हैं। पुस्तक में अँग्रेजी व हिन्दी में डॉ. तिवारी के लिखे कुछ चुने हुए लेख भी शामिल किए गए हैं। वर्ष 2020 में ही डॉ. तिवारी से लिया गया एक साक्षात्कार एवं उनके कुछ विशेष संस्मरण जो उन्होने स्वयं ही साझा किए थे, पुस्तक को बहुत रोचक व पठनीय बनाते हैं।
डॉ. आर. पी. तिवारी हिन्दी आलोचना के शिखर पुरुष डॉ. राम बिलास शर्मा के शिष्य रहे थे तथा राजा बलवंत सिंह कॉलेज के अंग्रेज़ी विभाग के अध्यक्ष एवं प्राचार्य रहे। डॉ. तिवारी का नाम आगरा विश्वविद्यालय के नामी-गिरामी शिक्षकों और लब्ध-प्रतिष्ठित विद्वानों में शुमार किया जाता है। डॉ. तिवारी अंग्रेज़ी भाषा एवं साहित्य के उच्च कोटि के शिक्षक एवं विद्वान थे, साथ ही वह हिन्दी व संस्कृत साहित्य के भी मर्मज्ञ थे। डॉ. तिवारी के निर्देशन में 100 से ऊपर शोधार्थियों ने पीएच.डी. प्राप्त की। उन्होने अंग्रेज़ी व हिन्दी में 17 पुस्तकों की रचना की तथा कई रिसर्च प्रोजेक्ट किए। वह आगरा समेत कई विश्वविद्यालय में अंग्रेज़ी के एक्सपेर्ट और उच्च स्तर की शोध एवं अकादमिक समितियों के संयोजक भी रहे।
डॉ. तिवारी की ख्याति एक प्रकांड विद्वान, उत्क्रष्ट शिक्षक एवं प्रखर समालोचक के रूप में रही। विद्वतापूर्ण वाद-विवाद, तर्क-वितर्क, गहन अध्ययन एवं सीधे-सपाट व तीखे लेखन में उनका कोई सानी नहीं था। वह अपनी सहृदयता, मानवीय संवेदनाओ, यार-बाशी, दोस्तों के साथ गपशप के लिए भी विख्यात रहे हैं। अपनी कुशाग्र बुद्धि, व्यंग्य व कटाक्ष के लिए जाने वाले डॉ. तिवारी देश की राजनीति व सार्वजनिक जीबन पर पैनी नज़र रखते थे व उनकी टिप्पणियाँ सुनने योग्य होती थी।
इस पुस्तक विमोचन कार्यक्र्म में उपस्थित लोगों में से निम्न के नाम प्रमुख हैं: डॉ. श्रीभगवान शर्मा, डॉ. एस.एन. शर्मा, एडवों देवेंद्र बाजपई, डॉ. रंजीत सिंह भदौरिया, डॉ. शशि तिवारी, डॉ. माया श्रीवास्तव, डॉ. चंदा सिंह, डॉ. प्रमिला चावला, डॉ. सुषमा सिंह, डॉ. मनोरंजन शर्मा, डॉ. आर.एस. तिवारी, डॉ. रश्मि शांडिल्य, डॉ. उमेश दुबे, श्री अनिल शुक्ल, डॉ. गिरजा शंकर शर्मा, डॉ. युव राज सिंह, डॉ. सुधीर कुमार सिंह, डॉ. दिग्विजय सिंह, डॉ. भानु प्रताप सिंह, adv विजय पाल सिंह, डॉ. संजय कुलश्रेष्ठ, डॉ. शिव कान्त मिश्र, डॉ. भीष्म पाल सिंह, अवधेश सिंह अदि की कार्यक्रम में सहभागिता रही।
पारवारिक प्रतिनिधि के रूप में कार्यक्रम में डॉ. तिवारी के ज्येष्ठ पुत्र व पुत्रवधू डॉ. विनोद तिवारी व डॉ. शरद तिवारी भी मौजूद रहे।