नुक्कड़ पर खड़े होकर खाने के कल्चर से अलग नहीं हो सकते आगरा वाले
आगरा। ताजमहल से परे आगरा को तलाशने का मतलब होगा आगरा में भोजन करना। हेरिटेज़ आगरा के एक घुमक्कड़ लिखा था,मुझे लगता है आगरेवालों का दो चीज़ों में कोई मुक़ाबला नहीं कर सकता- एक तो बातें बनाने में और दूसरा लजीज़ खाना खाने में। जो घर में खाने को मिलता है वो तो अच्छा होता ही है लेकिन बाहर हर नुक्कड़ पे बेड़ई और भल्ले का स्वाद मिलता है उसकी बात ही कुछ और है। लगता है अगर बात जान पर भी बन आए तो भी आगरेवाले खाते-खाते ही भगवान को प्यारा हो जाना पसंद करेंगे।
आगरा को सही तरह से डिस्कवर करने का मतलब है यहाँ के नुक्कड़ों पर खड़े होकर खाना। इसलिए आगरा वाले आगरा को कभी नहीं छोड़ना चाहते हैं। यहाँ जैसा खाने पीने का कल्चर वे शयाफ ही और कहीं ढूंढ पाते हों। अक्सर यहाँ के लोग शहर के बारे में आलोचना करते सुने जायेंगे किन्तु नुक्कड़ पर खड़े होकर खाने को वे खुद को अपने से अलग नहीं कर सकते।