City Station 6 - इंडियन रेलवे का इतिहास आगरा सिटी रेलवे स्टेशन के बिना अधूरा

इंडियन रेलवे का इतिहास आगरा सिटी रेलवे स्टेशन के बिना अधूरा

Agra

(राजीव सक्सेना द्वारा) आगरा सिटी रेलवे स्टेशन महानगर के बीच में स्थित महत्वपूर्ण स्टेशन है। यह कभी शहरवासियों के लिये सबसे सहज पहुंच वाला एक व्यस्त स्टेशन था।अब भी इसके परिसर में पहुंच कर अतीत में रहे इसके महत्व का अहसास होता है। सिटी स्टेशन ब्रिटिश काल में ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे के लिए 1903 में कच्छ (भुज – गुजरात ) के मिस्त्रियों द्वारा बनाया गया था। इसे स्टेशन भारतीय रेलवे इतिहास में कच्छ मिस्त्रियों के योगदान सजीव साक्ष्य है। स्टेशन के निर्माण के ठेकेदार हजापर (भुज) के मावजी मंजी नाम के ठेकेदार थे। जबकि कुकमा के प्रेमजी कल्याण आगरा सिटी स्टेशन के एजेंट थे ।
सिटी रेलवे स्टेशन का निर्माण 1903 में हुआ था। लेकिन इससे होकर रेल यातायात 1908 में ही शुरू हो सका। इसका कारण स्टेशन बनाये जाने की योजना के साथ ही पुल को बनाये जाने का काम भी 1989 में ही शुरू हो गया था जो 1908 में पूरा हो सका। स्ट्रैची पुल के नाम से पहचान वाले पुल से ही स्टेशन को यमुना ब्रिज रेलवे स्टेशन से जोडने वाला रेल ट्रैक गुजरता है। रेलवे ट्रेकों के तेजी के साथ हुए विद्युती करण तथा आगरा की सडकों पर बढते यातायात के दबाव के कारण यहां माल की ढुलाई और बाद में यात्री रेलों का आवगमन भी सीमित होता गया।
बीसवीं सदी के पहले दशक में शुरू हुए इस स्टेशन की कभी भारी व्यस्तता का दौर अब जरूर समाप्त हो गया है लेकिन इक्कीसवी सदी के दूसरे दश्क में भी यहां होकर आगरा केंट इटावा एम ई एम यू Agc-[Etw Memu(Mainline Electric Multiple Unit)] ,इटावा-आगरा एम ई एम यू ( Etw-agc Memu), आगरा -टूंडला एम ई एम यू ( Agc-tdl Memu), टूंडला-आगरा एम ई एम यू (Tdl-agc Memu)सेवाये यहां होकर गतिशील रहीं। आगरा के महाविद्यालों ,डा भीमराव विवि के विद्यार्थियों और नौकरी पेशाओं के लिये ये रेलगाडियां अत्यंत उपयोगी रहीं।लखनऊ – आगरा इंटर सिटी (ट्रैन नं. 12179) तथा आगरा – लखनऊ (ट्रैन नं. 12180 ) यहां ठहरती रही प्रमुख अंतिम यात्री रेलगाडी मानी जा सकती है।
ग्रेट इंडियन पैनीसुएला रेलवे (The Great Indian Peninsula Railway GIPR)ने सिटी रेलवे स्टेशन को न केवल महत्वपूर्ण माना बल्कि कारोबारी दृष्टि से लाभकारी भी।यह आंकलन सौ सालों से अधिक की अवधि तक कमोवेश सही भी साबित हुआ। स्टेशन के डवल र्टेक के नीचे से गुजर कर यात्रियों को बाहर पहुंचाने वाला अंडर पास भी यहां की एक विशिष्टता है। ब्रटिश सरकार के ब्यूरोक्रेट सर जोह्न स्ट्रैची सिटी स्टेशन प्रोजेक्ट के कल्पनाकार थे।वह अवध के चीफ कमिश्नर ( 17 March 1866 – 24 May 1868 ) रहने के साथ ही उत्तर -पश्चिम प्रांत के लैफ्टीनेंट गर्वनर (7 April 1874 -26 July 1876) अपने उपरोक्त कार्यकालों के अनुभवों के आधार पर गर्वनर काऊंसिल (member of the council of the secretary of state for India) के सैकेट्री पद के प्रभाव का उपयोग कर सिटी स्टेशन प्रोजेक्ट को हर संभव प्रयास कर पूरा करवाया।