jalebi - जलेबियों के बिना  अधूरा होता है आगरा वासियों का नाश्ता

जलेबियों के बिना अधूरा होता है आगरा वासियों का नाश्ता

Agra

आगरा के लोग सुबह के नाश्ते में सड़क पर हलवाई के नज़दीक खड़े होकर अक्सर जलेबी कहते हैं । लोगों का मानना है आगरा में देवीराम स्वीट्स के यहाँ में सबसे स्वादिष्ट तथा गरम ताजा जलेबियाँ मिलती हैं। आमतौर पर दोपहर तक यहाँ जलेबी का दौर जारी रहता है । कभी आपने सोचा है जलेबी की शुरुआत कैसे हुई। भारत में जलेबी शब्द फारसी ज़ोलबिया से लिया गया है। यह नुस्खा फारसी भाषी तुर्क ओटोमन आक्रमणकारियों जैसे मुगलों द्वारा मध्यकालीन भारत में लाया गया था। 15 वीं शताब्दी के भारत में जलेबी को कुंडलिका या जलवल्लिका के नाम से जाना जाता था।जलेबी को बंगाल में जिलपी तथा नेपाल में जरी बोलते हैं।

यह मिठाई विभिन्न देशों में अलग अलग नाम से प्रचलित है।ओरिएंटल देशों में पारंपरिक प्राच्य व्यंजनों में इसे जलाबिया या जेलबिया कहते हैं । जलेबी मध्य पूर्व के देशों जैसे ईरान, इराक, जॉर्डन, सीरिया, फिलिस्तीन, लेबनान और मिस्र मैं भी बहुत लोकप्रिय है ।पूर्वी अफ्रीकी देश जैसे कि जंजीबार , कोमोरोस या मयोट आदि में भी इसका बहुत प्रचलन है । इस तली मिठाई को भारतीय उपमहाद्वीप के देशों भारत, बांग्लादेश, नेपाल, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और श्रीलंका में जलेबी, जिल्पी या जुलबिया कहा जाता है।