करेंट से घायल हुए बंदर का जीवन बचाने में भरसक प्रयत्न वाइल्डलाइफ एसओएस द्वारा
आगरा फोर्ट रेलवे स्टेशन पर एक नर बंदर रेल की पटरियों पर बेहोश पड़ा मिला जिसे वाइल्डलाइफ एसओएस रैपिड रिस्पांस यूनिट ने बचाया। आशंका है कि बंदर बिजली का करंट लगने से घायल हुआ जिसका वर्तमान में वाइल्डलाइफ एसओएस के अस्पताल में उपचार चल रहा है।आगरा फोर्ट रेलवे स्टेशन पर स्टेशन कर्मचारियों को रेल की पटरि पर बेहोशी की हालत में पड़ा एक बंदर दिखाई दिया। उसकी सुरक्षा के लिए चिंतित, स्टेशन कर्मचारी ने तुरंत वाइल्डलाइफ एसओएस के हेल्पलाइन पर संस्था से संपर्क साधा। गैर-सरकारी संस्था ने दो-सदस्यीय टीम को आवश्यक उपकरणों के साथ स्थान पर भेजने में कोई समय बर्बाद नहीं किया।रेस्क्यू टीम बचाव अभियान को अंजाम देने के लिए पटरी पर उतरी। उन्होंने बंदर को सावधानीपूर्वक रेस्क्यूकिया और तत्काल चिकित्सा उपचार के लिए वाइल्डलाइफ एसओएस के अस्पताल ले आई।
कॉलर, राम सेवक ने बताया, “जैसे ही हमें रेल की पटरियों पर बंदर मिला, हमने मदद के लिए वाइल्डलाइफ एसओएस से संपर्क किया। इस बीच, हमने बंदर को पटरियों से उठाने की कोशिश की लेकिन, हम नहीं कर सके क्योंकि काफी सारे बंदर उसके चारों ओर इकट्ठा हो गए थे। ”वाइल्डलाइफ एसओएस के वेटरनरी सर्विसेज के उप-निदेशक डॉ. इलयाराजा ने कहा, “बंदर को हाईवोल्टेज बिजली लाइन से करंट लगने की आशंका है, जिससे उसके शरीर को लकवा मार गया है। बंदर गंभीरस्थिति में है। हम उसे आवश्यक उपचार और दवा उपलब्ध कराने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। ”
लाइवाइल्डफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ कार्तिक सत्यनारायण ने कहा, “बंदर के बारे में हमें सूचना देने के लिए हम रेलवे कर्मचारियों के आभारी हैं। पशु चिकित्सकों की हमारी समर्पित टीम सभी आवश्यक उपचार प्रदान कर रही है। वाइल्डलाइफ एसओएस रैपिड रिस्पांस यूनिट को बंदरों के बारे में नियमितरूप से कॉल प्राप्त होती हैं, जिन्हें जंगली कुत्तों द्वारा घायल किया गया हो, या फिर जो बिजली के करंट से घायल हो गए हो अथवा मानव-वन्यजीव संघर्ष की स्थिति में फस गए हो।
एक अन्य घटना में, वाइल्डलाइफ एसओएस रैपिड रिस्पांस यूनिट ने अछनेरा से एक नर हॉग डियर को भी बचाया। हिरण को जंगली कुत्तों के एक समूह ने घायल कर दिया था और उसे मामूली चोटें आई थीं। उपचारप्राप्त करने के बाद हिरण को वापस जंगल में छोड़ दिया गया।